मिनख जमारो
बन्दा एलो
मत खोवै,
सुखरत करले
जमारा ने
|
पापी में मुख से राम कोनी निसरै, केशर घुल रही गारा में ||
भैंस पदमणी ने गैणों तो पहरायो, काई जाणे नौसर हारा ने |
पहर कोणी जाणे बा तो चाल कोनी जाणे, उमर गमादी गोबर गारा में || १ ||
सोने के थाल में सूरी ने परोसी, काई जाणे जीमण हारा ने |
जीम कोणी जाणे बा तो जूंठ कोणी जाणे, हूरड हूरड करती जमारा ने || २ |
कांच के महल में कुत्ती ने सुवाई, काई जाणे सोवण हारा ने |
सोय कोनी जाणे बा तो ओढ़ कोनी जाणे. घुस घुस मरगी गलियारा में || ३ ||
माणक मोती मूरखा ने दीन्या, दलबा तो बैठ गया सारा ने |
हीरा की पारख जौहरी ही जाणे, काई बेरो मूरख गंवारा ने || ४ ||
अम्रुतनाथजी अमर भया जोगी, जार गया कांचे पारा ने |
भूरा भजन हरिराम का कर ले , हर मिलसी दशवा द्वारा में || ५ |
पापी में मुख से राम कोनी निसरै, केशर घुल रही गारा में ||
भैंस पदमणी ने गैणों तो पहरायो, काई जाणे नौसर हारा ने |
पहर कोणी जाणे बा तो चाल कोनी जाणे, उमर गमादी गोबर गारा में || १ ||
सोने के थाल में सूरी ने परोसी, काई जाणे जीमण हारा ने |
जीम कोणी जाणे बा तो जूंठ कोणी जाणे, हूरड हूरड करती जमारा ने || २ |
कांच के महल में कुत्ती ने सुवाई, काई जाणे सोवण हारा ने |
सोय कोनी जाणे बा तो ओढ़ कोनी जाणे. घुस घुस मरगी गलियारा में || ३ ||
माणक मोती मूरखा ने दीन्या, दलबा तो बैठ गया सारा ने |
हीरा की पारख जौहरी ही जाणे, काई बेरो मूरख गंवारा ने || ४ ||
अम्रुतनाथजी अमर भया जोगी, जार गया कांचे पारा ने |
भूरा भजन हरिराम का कर ले , हर मिलसी दशवा द्वारा में || ५ |
बहुत अच्छा
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