बुधवार, 15 अप्रैल 2020

प्रथम गणपतिजी के गुणगाना, prtham ganpti ji ke gungan lyrics

प्रथम गणपतिजी के गुणगाना प्रथम गणपतिजी के गुणगाना
प्रेम भाव से सेवा करना तज के अभिमान टेर
अड़सठ तीरथ न्यारा न्यारा, गंगा जल ल्याना
चतुराई की चौकी बैठ कर, करते असनाना 1
सूंड सुंडाला, दूंद दूंदाला और सोहे काना
मुख मँ तो एक दन्त बिराजै, खूब सजै बाना 2
पारवती के पुत्र कहावो, शिव के मन माना
सब देवन मँ देव बड़े हो, पूजै अगवाना 3
सब मुनियन को शीश झुकाऊँ, दीज्यो बुध ज्ञान
भुल्या अक्षर मोय बताओ, नहीं तुमसे छाना 4
नाथ गुलाब मिल्या गुरु पूरा, भगवाँ है बाना।
भानीनाथ शरण सतगुरु की, सभा बीच आना 5

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