आव सखी देख गणपत घूम है ॥टेर॥
लम्बी सूाँड मतवाला जी घृत, लसन्दुर थार मस्तक सोहे देवा,
लशव-शलि का बाला हो गणपत, देख भया मतवाला जी ॥1॥
राजा भी सुमर थान, परजा भी सुमर है सुमर है जोगी जटावाला जी ।
ईठ साँवरी दोपहरी तान सुमर देवा, ररलद्ध लसलद्ध देवणवाला ओ गणपत ॥2॥
ओढ पीत पीतम्बर सोहे देवा, गल फूलंडा री फूल मालाजी ।
सात सखी रल मंगल गाव देवा, बुलद्ध को देवण हाला जो गणपत ॥3॥
नात गुलाब लमल्या, गुरु पूरा , रृदय में कररयो ईजाला जी ।
भानीनाथ शरण सतगुरु की देवा,खोल्या भ्रम का तIलI ओ गणपत ॥4॥
लम्बी सूाँड मतवाला जी घृत, लसन्दुर थार मस्तक सोहे देवा,
लशव-शलि का बाला हो गणपत, देख भया मतवाला जी ॥1॥
राजा भी सुमर थान, परजा भी सुमर है सुमर है जोगी जटावाला जी ।
ईठ साँवरी दोपहरी तान सुमर देवा, ररलद्ध लसलद्ध देवणवाला ओ गणपत ॥2॥
ओढ पीत पीतम्बर सोहे देवा, गल फूलंडा री फूल मालाजी ।
सात सखी रल मंगल गाव देवा, बुलद्ध को देवण हाला जो गणपत ॥3॥
नात गुलाब लमल्या, गुरु पूरा , रृदय में कररयो ईजाला जी ।
भानीनाथ शरण सतगुरु की देवा,खोल्या भ्रम का तIलI ओ गणपत ॥4॥