पांचू चेला
फिरे अकेला,
अलख अलख
जोगी करता
है .......
सुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती, कुण सौवे कुण जागै है |
साध हमारे हम साधन के, तन सौवे भ्रम जागे है ||
भंवर गुफा में तपसी तापै, तपसी तपस्या करता है |
अस्त्र वस्त्र कछु नहीं रखता, नागा निर्भय रहता है ||
एक अप्सरा आगे उभी, दूजी सुरमो सारे है |
तीजी सुषमण सेज बिछावे, परण्या नहीं कंवारा है ||
एक पिलंग पर दोय नर सूत्या, कुण सोवे कुण जागे है |
च्यारू पाया दिवला जोया, चोर किस विधि लागे है ||
जळ बिच कमल, कमल बिच कलियाँ, भंवर बास ना लेता है |
पांचू चेला फिरे अकेला, अलख अलख जोगी करता है ||
जीवत जोगी माया भोगी, मूवा पत्थर नर माणी रे |
खोज्या खबर पड़े घाट भीतर, जोगा राम की वाणी रे ||
परण्या पहली पुत्र जलामिया, मात पिता मन भाया है |
शरण मछंदरजती गोरख बोल्या, एक अखंडी ने ध्याया है ||
सुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती, कुण सौवे कुण जागै है |
साध हमारे हम साधन के, तन सौवे भ्रम जागे है ||
भंवर गुफा में तपसी तापै, तपसी तपस्या करता है |
अस्त्र वस्त्र कछु नहीं रखता, नागा निर्भय रहता है ||
एक अप्सरा आगे उभी, दूजी सुरमो सारे है |
तीजी सुषमण सेज बिछावे, परण्या नहीं कंवारा है ||
एक पिलंग पर दोय नर सूत्या, कुण सोवे कुण जागे है |
च्यारू पाया दिवला जोया, चोर किस विधि लागे है ||
जळ बिच कमल, कमल बिच कलियाँ, भंवर बास ना लेता है |
पांचू चेला फिरे अकेला, अलख अलख जोगी करता है ||
जीवत जोगी माया भोगी, मूवा पत्थर नर माणी रे |
खोज्या खबर पड़े घाट भीतर, जोगा राम की वाणी रे ||
परण्या पहली पुत्र जलामिया, मात पिता मन भाया है |
शरण मछंदरजती गोरख बोल्या, एक अखंडी ने ध्याया है ||
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