हे मंगल
कि मूल
भवानी शरणा
तेरा है
|
मैया है ब्रह्मा कि पुत्री, लेकर ज्ञान स्वर्ग से उतरी |
आज तेरी कथा बना देई सुथरी प्रथम मनाया है || १ ||
मैया भवन बन्या जाली का, हार गूँथ ल्याया है माली का |
ध्यान धर कलकते वाली का , पुष्प चढ़ाया है ||
मैया महिषासुर को मार्या, अपने बल से धरण पछाडया |
हाथ लिए खांडा दु धारया, असुर सन्हार्या है ||
कहता शंकर जटोली वाला, हरदम रटे मैया जी कि माला |
खोल मेरे ह्रदय का ताला, विद्या वर पाया है ||
मैया है ब्रह्मा कि पुत्री, लेकर ज्ञान स्वर्ग से उतरी |
आज तेरी कथा बना देई सुथरी प्रथम मनाया है || १ ||
मैया भवन बन्या जाली का, हार गूँथ ल्याया है माली का |
ध्यान धर कलकते वाली का , पुष्प चढ़ाया है ||
मैया महिषासुर को मार्या, अपने बल से धरण पछाडया |
हाथ लिए खांडा दु धारया, असुर सन्हार्या है ||
कहता शंकर जटोली वाला, हरदम रटे मैया जी कि माला |
खोल मेरे ह्रदय का ताला, विद्या वर पाया है ||
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