बुधवार, 15 अप्रैल 2020

आनन्द के लुटे खजाने भाई, सतगुरु के दरबार में , aanad ka khajana Lyrics


आनन्द के लुटे खजाने भाई, सतगुरु के दरबार में ।।
कोठी बंगले कारो की भाई, कमी नही उनके पास में
वो भी यु कहते ह, हम सुखी नही संसार में ।।
आनन्द के लुटे खजाने भाई सतगुरु के दरबार में ।।
धन में सुख और देखने वालो, धनवानो से पूछ लो ।।भाई
एक पल की फुर्सत नाही, जीवन के विचार में ।।
जीवन के विचार में भाई
जीवन के विचार में ,,
आनन्द के लुटे खजाने ,,भाई
सतगुरु के दरबार में
भाई बंदु कुटुंब कबीला ,,भाई
जितना लम्बा परिवार ,
देखे रोज कचहरी
आपस के तकरार में ।।
आपस के तकरार में भाई
आपस के तकरार में ,,
आनन्द के लुटे खजाने ,,भाई
भाईसतगुरु के दरबार में ।।
ना सुख घर में रहने से ,,भाई,,
ना सुख वन में जाने से
गुरु भोला नाथ समझावे
सुख आत्म विश्वाश में ।।
आत्म विश्वाश में भाई
आत्म विश्वाश में ।।
आनन्द के लुटे खजाने भाई
सतगुरु के दरबार में ।।

गौरी के सुवन सुजान, प्रथम थारो यश गांवा जी, Gouri Suvan Sujan Bhajan Lyrics


गौरी के सुवन सुजान, प्रथम थारो यश गांवा जी |
म्हारा काटो कष्ट कलेश, गणेश हमेश मनावा जी || टेर ||
एक दन्त सर चन्द्रमा जी, विघ्न हरण गणराज |
गले जनेऊ शेष है जी, सुर सेना सिरताज ||
थारे चरणा शीश नंवावा जी, हमेश मनावा जी || ||
दुन्दाला दुःख भंजना जी, सुन्द्याला सुख मूल |
दोष दूर सिन्दूर करे, विघ्न विडारे शूल |
ध्यान चित्त माय लगावा जी, हमेश मनावा जी || ||
मोदक मुद मंगल करे जी, पाश विनाशे पाप |
अभय दान सबनै देवो जी, चढ़ मूषक पर आप |
सुमीर थाने सुख पावा जी, हमेश मनावा जी || ||
जाचक उब्या बारने जी, अरज करे दातार |
दाता टूट्यो सावठा जी, रिद्ध सिद्ध भरो भण्डार |
शंभू थारी कीर्ति गांवा जी, हमेश मनावा जी || ||

देखो उलटी रीत जगत की, Dekho Ulti Reet Jagat Ki Lyrics


प्रभाती: देखो उलटी रीत जगत की
देखो उलटी रीत जगत की, पीवै जहर अमी त्यागे |
सुख मारग में कोई कोई चाले, दुःख मारग में भागे || टेर ||
खीर खांड का भोजन त्यागे, दारू की बोतल मांगे |
कर्महीन लिख्या कांकरा, मुर्दा की हाड्या चाबे || ||
धर्मकथा पर पीसो कोनी चोढ़े, कू रस्ता सौ सौ आगे |
रांड भांड में घर फुन्क्यावे, घर बिना बाधा सागे || ||
हिन्दू होली तुरक ताजिया, बे नाचे बे राह गाजे |
इतना प्रेम करे मालिक का, जम का सोटा ना लागे || ||
एक मारगियो बगे देहनो, दूजो बगे उनके डाबो |
दोन्या के बीच मुक्ति को गेलो, रामजीलाल वहा जाबो || ||

द्यो वरदान मुझे भक्ति का, Dyo Vardan Mujhe Bhakti Ka Lyrics


द्यो वरदान मुझे भक्ति का, जागो शंकर बम लहरी |
अन्न धन का भण्डार खोल दे , सेवा करा मालिक थारी ||
अंग वभुती ललाट चन्द्रमा, मुंडीयन कि माला पहरी |
बासुकी नाग गले बिच टूले, शीश जटा गंगा बह री || ||
गांजा सुल्फा आक धतुरा, नशा करे शंकर जहरी |
अमल तम्बाकू भांग छूतरा, प्याय रही गौरा प्यारी || ||
भक्ति से वरदान ले लियो, तपस्या जाय करी गहरी |
भष्मी कड़ो दियो दानव ने, शिव के गेल हुयो बेरी || ||
आगे शंकर लेरा दानो, देणे लग्या खंड के फेरी |
गिरिजा रूप धरयो विष्णु ने , दाने कि करदी ढेरी || ||
दस शीष रावण ने बक्श्या, बीस भूजा हस्ती गहरी |
विजयी का वरदान पायके, राम तणी सीता ने हरी || ||
काशी चेला शिवशंकर का, पार करो उनकी बेरी |
पलक उघाड़ो अन्तर्यामी , सुवरण का पासा गेरी ||||
झिलळ झिलळ वालो कुम्भलावे, आवण कि मत कर देरी |
रामजीलाल बिडद बखाने, सुन भोला करुणा मेरी || ||

सादा जीवन सुख से जीना, Sada Jivan Sukh Se Jeena Lyrics


सादा जीवन सुख से जीना, अधिक इतरना ना चाहिए |
भजन सार है इस दुनिया में, कभी बिसरना ना चाहिए ||
मन में भेदभाव नहीं रखना, कौन पराया कौन अपना |
इश्वर से सच्चा नाता है, और सभी झूठा सपना |
गर्व गुमान कभी ना करना, गर्व रहे गले बिना |
कौन यहाँ पर रहा सदा से, कौन रहेगा सदा बना |
सभी भूमि गौपाललाल की, व्यर्थ भटकना ना चाहिए || भजन सार ||
दान, भोग और नाश तीन गती, धन की ना चौथी कोई |
जतन करंता पच पच मरगा, साथ ले गया ना कोई |
इक लख पूत सवा लख नाती, जाणे जग में सब कोई |
रावण के सोने के लंका, साथ ले गया वो भी |
सूक्ष्म खाणा खूब बांटना, भर भर धरना ना चाहिए || भजन सार ||
भोग्या भोग घटे ना तृष्णा, भोग भोग फिर क्या करना |
चित्त में चेतन करे च्यानणों, धन माया का क्या करना |
धन से भय विपदा नहीं भागे, झूंठा भरम नहीं धरना |
धनी रहे चाहे हो निर्धन, आखिर है सबको मरना |
कर संतोष सुखी हो मरिये, पच पच मरणा ना चाहिए || भजन सार ||
सुमिरण करें सदा इश्वर का, साधू का सम्मान करे |
कम हो तो संतोष करे नर, ज्यादा हो तो दान करे |
जब जब मिले भाग से जैसा, संतोषी ईमान करे |
आडा टेढ़ा घणा बखेड़ा, जुल्मी बेईमान करे |
निर्भय जीणा निर्भय मरणा, शम्भू डरना ना चाहिए || भजन सार ||

भाँगडली शरणाई रे शिव थारा नैणा में || Bhangdli sarnai re shiv thare naina me || अर्जी सुन्ज्यो दीनानाथ ||

  भाँगडली शरणाई रे शिव थारा नैणा में, अर्जी सुन्ज्यो दीनानाथ, थे तो भूता रा सरदार तेरी महिमा अपरम्पार धतूरो बोयो वन मे भांगडली गरनाई रे शिव ...