एक दिन
वो भोले
भंडारी बन
करके बृज
नारी गोकुल
में आ
गए है
|
पारवती भी मना के हारी, न माने त्रिपुरारी, गोकुल में आ गए है ||
पारवती से बोले बाबा में भी चलूँगा तेरे साथ में |
राधा संग श्याम नाचे, में भी नाचूँगा तेरे संग में |
रास रचेगा बृज में भारी, हमें दिखादे प्यारी ||
गोकुल में आ गये है -२ ..........
ओ मेरे भोले स्वामी, कैसे ले जाऊ तोहे रास में |
मोहन के सिवा कोई, पुरुष न नाचे इस रास में |
हंसी करेगी बृज की नारी, मानो बात हमारी ||
गोकुल में आ गये है -२ ..........
ऐसा सजा दे मुझको, कन्हैया न जाने मेरे राज को |
में हु सहेली तेरी, ऐसा बताना बृजराज को |
लगा के गजरा बाँध के साड़ी, चाल चले मतवाली ||
गोकुल में आ गये है -२ ..........
ऐसी बजाई बंसी, सुधबुध भूले भोलेनाथ रे |
आ ही गये रे शंभू , समझ गये बृजराज रे |
सरक गई जब सिर से साड़ी, पूछता ये बनवारी ||
गोकुल में आ गये है -२ .........
पारवती भी मना के हारी, न माने त्रिपुरारी, गोकुल में आ गए है ||
पारवती से बोले बाबा में भी चलूँगा तेरे साथ में |
राधा संग श्याम नाचे, में भी नाचूँगा तेरे संग में |
रास रचेगा बृज में भारी, हमें दिखादे प्यारी ||
गोकुल में आ गये है -२ ..........
ओ मेरे भोले स्वामी, कैसे ले जाऊ तोहे रास में |
मोहन के सिवा कोई, पुरुष न नाचे इस रास में |
हंसी करेगी बृज की नारी, मानो बात हमारी ||
गोकुल में आ गये है -२ ..........
ऐसा सजा दे मुझको, कन्हैया न जाने मेरे राज को |
में हु सहेली तेरी, ऐसा बताना बृजराज को |
लगा के गजरा बाँध के साड़ी, चाल चले मतवाली ||
गोकुल में आ गये है -२ ..........
ऐसी बजाई बंसी, सुधबुध भूले भोलेनाथ रे |
आ ही गये रे शंभू , समझ गये बृजराज रे |
सरक गई जब सिर से साड़ी, पूछता ये बनवारी ||
गोकुल में आ गये है -२ .........
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