तेरा भगत करे अरदास, ज्ञान मोहे दीज्यो हे काली |
माली के ने बाग़ लगाया, पर्वत हरियाली |
तेरे हाथन में पुष्पन की माला, द्वार खड्या माली || १ ||
जरी दुपट्टा चीर शीश पर, सोहे जंगाली |
तेरे नाकन में नकबेसर सोहे, कर्ण फूल बाली || २ ||
सवा पहर ले बीच भवन में, खप्पर भर खाली |
कर दुष्टन का नाश, भगत की करना रखवाली || ३ ||
चाबत नागर पान, होठ पर छाय रही लाली |
तने गावै मोतीलाल कालका, कलकत्ते वाली || ४ ||
माली के ने बाग़ लगाया, पर्वत हरियाली |
तेरे हाथन में पुष्पन की माला, द्वार खड्या माली || १ ||
जरी दुपट्टा चीर शीश पर, सोहे जंगाली |
तेरे नाकन में नकबेसर सोहे, कर्ण फूल बाली || २ ||
सवा पहर ले बीच भवन में, खप्पर भर खाली |
कर दुष्टन का नाश, भगत की करना रखवाली || ३ ||
चाबत नागर पान, होठ पर छाय रही लाली |
तने गावै मोतीलाल कालका, कलकत्ते वाली || ४ ||
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