आणा नाचे ताणा नाचे, नाचे सूत पुराना,
बाहर खड़ी तेरी नाचे जुलाही अंदर कोई नही आना रे, नगरी के लोगो ।।
भला बस्ती के लोगो, मेरी तो ह जात जुलाहा, जिव का जतन बनावा
कोई मेरा क्या करेगा रे सांई तेरा नाम जपुगा ।।
उड़द मुंग मत खावे जुलाही, तेरा लड़का होवे काला
एक दमड़ी का चावल मन्गादे, सदा सन्त मतवाला रे ।।
नगरी के लोगो भला बस्ती के लोगों
मेरी तो ह जात जुलाहा ,
जिव काजत्न बनावा ,
कोई मेरा क्या करेगा रे ,
हस्ती चढ़ क्र ताना तनिया,ऊँठ चढ़या निर्वाणा ,।
घुड़ले चढ़कर बनबा लागे फिर सांवली छाया रे ।।
नगरी के लोगो, भला बस्ती के लोगो ,
मेरी तो ह जात जुलाहा ,
जिव का जतन बनावा ,
कोई मेरा क्या करेगा रे ,
दुनिया भरम धरेगी रे ।।
माता अपनी पुत्र ने खा गई ,बेटी ने खा गयो बाप ।
कहत कबीर सुनो भई साधो 'रति ना लाग्यो पाप रे ।।
नगरी के लोगो ,
भला बस्ती के लोगो ,
मेरी तो ह जात जुलाहा ,
जीव का जतन बनावा ,
हां रे के दुविदा ,
परे सरक ज्या रे ,
दुनिया भरम धरेगी रे ।
कोई मेरा क्या करेगा रे ,सांई तेरा नाम जपुगा ।।
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