बुधवार, 15 अप्रैल 2020

Sarasvati Vandna


या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवः सदा पूजिता
सा मां पातु सरस्वति भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥१॥

दोर्भिर्युक्ता चतुर्भिं स्फटिकमणिनिभैरक्षमालान्दधाना
हस्तेनैकेन पद्मं सितमपि शुकं पुस्तकं चापेरण
भासा कुन्देन्दुशङ्खस्फटिकमणिनिभा भासमानाऽसमाना
सा मे वाग्देवतेयं निवसतु वदने सर्वदा सुप्रसन्ना ॥२॥

सुरासुरसेवितपादपङ्कजा करे विराजत्कमनीयपुस्तका
विरिञ्चिपत्नी कमलासनस्थिता सरस्वती नृत्यतु वाचि मे सदा ॥३॥

सरस्वती सरसिजकेसरप्रभा तपस्विनी सितकमलासनप्रिया
घनस्तनी कमलविलोललोचना मनस्विनी भवतु वरप्रसादिनी ॥४॥

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