पहली देव
गणेश मनावा
, सिमरु माई
ज्वाला ने
मतवाला गुरु मतवाला ये सतामरापुर है वाला |
पहली देव गणेश मनावा , सिमरु माई ज्वाला ने |
वाणी बोल अणभे का उपज्या, ह्रदय में हो रह्या उजियाला ||
इंद्रा घटा ले म्हारा सतगुरु आया, बरसत आया गुरु घनघोरा |
झीणी झिणी बूंदा गुरुआ झड़ी लगादी, भेय दिया तन मन सारा ||
ज्ञान बादली गुराजी के घट में, बरस रही चहु दिश धारा |
वचन वचन में इंद्र ज्यू गरजै, आठ पहर और दिन सारा ||
गुराजी कि महिमा अमी कि सी बूंदा, बोल गंगा का है धारा |
सुणनिये का पाप कटे बहुतेरा, काया कंचन तन सारा ||
सोहनपुरी सुथान का वासा, श्वेत वर्ण रंग है बांका |
शिखर किले पर ध्वजा फरूकै, वहा रम रया गुरु म्हारा ||
अमृतनाथ मिल्या गुरु पूरा, खोल्या भरम का अब ताला |
मधो महिमा गुराजी कि गावै, गाँव घुमाने वाला |
मतवाला गुरु मतवाला ये सतामरापुर है वाला |
पहली देव गणेश मनावा , सिमरु माई ज्वाला ने |
वाणी बोल अणभे का उपज्या, ह्रदय में हो रह्या उजियाला ||
इंद्रा घटा ले म्हारा सतगुरु आया, बरसत आया गुरु घनघोरा |
झीणी झिणी बूंदा गुरुआ झड़ी लगादी, भेय दिया तन मन सारा ||
ज्ञान बादली गुराजी के घट में, बरस रही चहु दिश धारा |
वचन वचन में इंद्र ज्यू गरजै, आठ पहर और दिन सारा ||
गुराजी कि महिमा अमी कि सी बूंदा, बोल गंगा का है धारा |
सुणनिये का पाप कटे बहुतेरा, काया कंचन तन सारा ||
सोहनपुरी सुथान का वासा, श्वेत वर्ण रंग है बांका |
शिखर किले पर ध्वजा फरूकै, वहा रम रया गुरु म्हारा ||
अमृतनाथ मिल्या गुरु पूरा, खोल्या भरम का अब ताला |
मधो महिमा गुराजी कि गावै, गाँव घुमाने वाला |
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