सोमवार, 12 नवंबर 2018

जसनाथी सम्प्रदाय


जय जसनाथ जी महाराज |जय श्री बालाजी |

जसनाथी सम्प्रदाय मुख्यतः अंगारा नृत्य करने के लिए प्रसिद्ध है |
सम्प्रदाय की स्थापना सिद्ध संत श्री जसनाथ जी द्वारा राजस्थान के चूरू से की गई थी, मान्यता अनुसार जसनाथ जी के 5 शिष्यों ने इसे आगे बीकानेर नागौर और जोधपुर तक फैलाया |
इस सम्प्रदाय के पाँच ठिकाने, बारह धाम, चौरासी बाड़ी और एक सौ आठ स्थापना हैं |जसनाथी सम्प्रदाय के लोग से बात-चीत करने से मिली जानकारी के अनुसार वो पहले गुरु जसनाथ जी व अग्नि देव की पूजा करके उनसे अनुरोध करते है की अग्नि का प्रभाव निष्क्रिय हो जाये |
जसनाथी सम्प्रदाय के लोग से बात-चीत करने से मिली जानकारी के अनुसार वो पहले गुरु जसनाथ जी व अग्नि देव की पूजा करके उनसे अनुरोध करते है की अग्नि का प्रभाव निष्क्रिय हो जाये |
इन अंगारो से वो ऐसे खेलते है, मनो जैसे कोई बर्फ का टुकड़ा हो | जसनाथ जी के आशीर्वाद से अपने मुँह में अंगारे लेकर अद्भुत कलाएँ करते है | बीकानेर से सटे हुए कतरियासर गांव में आज भी इनकी समाधि विद्यमान है। बीकानेर से करीब 45 किलोमीटर दूर कतरियासर गाँव सिद्ध नाथ सम्प्रदाय के लोगों का मेला में लगता है।
बीकानेर से सटे हुए कतरियासर गांव में आज भी इनकी समाधि विद्यमान है। बीकानेर से करीब 45 किलोमीटर दूर कतरियासर गाँव सिद्ध नाथ सम्प्रदाय के लोगों का मेला में लगता है।
जय जसनाथ जी महाराज |जय श्री बालाजी |जसनाथी सम्प्रदाय मुख्यतः अंगारा नृत्य करने के लिए प्रसिद्ध है |
सम्प्रदाय की स्थापना सिद्ध संत श्री जसनाथ जी द्वारा राजस्थान के चूरू से की गई थी, मान्यता अनुसार जसनाथ जी के 5 शिष्यों ने इसे आगे बीकानेर नागौर और जोधपुर तक फैलाया |
इस सम्प्रदाय के पाँच ठिकाने, बारह धाम, चौरासी बाड़ी और एक सौ आठ स्थापना हैं |जसनाथी सम्प्रदाय के लोग से बात-चीत करने से मिली जानकारी के अनुसार वो पहले गुरु जसनाथ जी व अग्नि देव की पूजा करके उनसे अनुरोध करते है की अग्नि का प्रभाव निष्क्रिय हो जाये |जसनाथी सम्प्रदाय के लोग से बात-चीत करने से मिली जानकारी के अनुसार वो पहले गुरु जसनाथ जी व अग्नि देव की पूजा करके उनसे अनुरोध करते है की अग्नि का प्रभाव निष्क्रिय हो जाये |इन अंगारो से वो ऐसे खेलते है, मनो जैसे कोई बर्फ का टुकड़ा हो | जसनाथ जी के आशीर्वाद से अपने मुँह में अंगारे लेकर अद्भुत कलाएँ करते है | बीकानेर से सटे हुए कतरियासर गांव में आज भी इनकी समाधि विद्यमान है। बीकानेर से करीब 45 किलोमीटर दूर कतरियासर गाँव सिद्ध नाथ सम्प्रदाय के लोगों का मेला में लगता है।बीकानेर से सटे हुए कतरियासर गांव में आज भी इनकी समाधि विद्यमान है। बीकानेर से करीब 45 किलोमीटर दूर कतरियासर गाँव सिद्ध नाथ सम्प्रदाय के लोगों का मेला में लगता है।
जसनाथ जी का जन्म 1480-82 के लगभग माना जाता है, गुरु गोरख नाथ जी के अनुयायी जसनाथ जी ने 12 तपस्या कर प्रचंड अध्यात्म ज्ञान प्राप्त कर लगभग 1506 में कतरियासर (वर्तमान बीकानेर, राजस्थान से 45 KM दूर ) पर जीवित समाधि ली |




रविवार, 11 नवंबर 2018

तेरे घट में बसे है भगवान,49 वीं सत्संग सभा,10-11-2018

धुनों तपे राम को ,49 वी सत्संग सभा (dhuno tape ram ko) l Lyrics




धुणो तप राम को होव कोई बड़ भागी
जां न साचा सतगुरु मिलग्या  बांकी सुरता जागी

इस धूणे पर मीरां तप गयी तप गया सजन कसाई
सुआ पढ़ावत गणिका तापी जांकि लगन राम स लागी

इस धूणे पर सुरां तप गया तप गया सेना नाई
नामदेव जी ऐसा ताप्या जांकि लगन राम से लागी

इस धूणे पर गोरक्ष तप गया तप गया नानक साईं
गोपीचंद भरथरी ताप्या जांकि लगन राम से लागी

इस धूणे पर नरसी तप गया तप गयी करमा बाई
दास कबीरा ऐसा ताप्या जांकि लगन राम से लागी।

भाँगडली शरणाई रे शिव थारा नैणा में || Bhangdli sarnai re shiv thare naina me || अर्जी सुन्ज्यो दीनानाथ ||

  भाँगडली शरणाई रे शिव थारा नैणा में, अर्जी सुन्ज्यो दीनानाथ, थे तो भूता रा सरदार तेरी महिमा अपरम्पार धतूरो बोयो वन मे भांगडली गरनाई रे शिव ...