श्री गणेश काटो कलेश, नित्य हमेशा, ध्यावााँ थाने ाऄरजी करााँ दरबार में
ऄरजी दरबार में, करता सरकार में, श्री गणेश, काटो कलेश ॥ टेर ॥
दूाँद दुाँदाला, सूाँड सुन्डाला-मोटा मूाँड, लम्बी सूंड ।
फरकै दूंद, ध्यावााँ थानै ऄरजी करां दरबार में ॥ 2 ॥
पुष्पन माला, नयन लवशाला-चढै लसन्दूर, बरसे नूर ।
दुश्मन दूर, ध्यावााँ थाने ऄरजी करां दरबार में ॥ 3 ॥
ररद्ध लसद्ध नारी, लागै लपयारी, ररद्ध लसद्ध नार, भरो भण्डार ।
करो कल्याण, ध्यावााँ थाने ऄरजी करां दरबार में ॥ 4 ॥
दास मोती लसंह, तेरा यश गावै, गुरु चरणा में शीश नवावै ।
दो वरदान, मागूं दान, सेवा ऄपार, ध्यावां थाने ऄरजी ॥ 5 ॥
ऄरजी दरबार में, करता सरकार में, श्री गणेश, काटो कलेश ॥ टेर ॥
दूाँद दुाँदाला, सूाँड सुन्डाला-मोटा मूाँड, लम्बी सूंड ।
फरकै दूंद, ध्यावााँ थानै ऄरजी करां दरबार में ॥ 2 ॥
पुष्पन माला, नयन लवशाला-चढै लसन्दूर, बरसे नूर ।
दुश्मन दूर, ध्यावााँ थाने ऄरजी करां दरबार में ॥ 3 ॥
ररद्ध लसद्ध नारी, लागै लपयारी, ररद्ध लसद्ध नार, भरो भण्डार ।
करो कल्याण, ध्यावााँ थाने ऄरजी करां दरबार में ॥ 4 ॥
दास मोती लसंह, तेरा यश गावै, गुरु चरणा में शीश नवावै ।
दो वरदान, मागूं दान, सेवा ऄपार, ध्यावां थाने ऄरजी ॥ 5 ॥
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