धमक पधारो गणपत- ओ हनज महन्दर रये में धमक पधारो जी ॥ टेर ॥
ब्रा भी अये म्हारे, लवष्णु भी अये जी ।
साँगडे में ल्याया सरस्वती ॥ 1 ॥
लशवजी भी अये संग नााँदे न ल्याये जी ।
संगडे में ल्याये पारवती ॥ 2 ॥
राम भी अये म्हारे ललछमन भी अए जी ।
संगडे में ल्याये लसया सती ॥ 3 ॥
कौरव भी अए म्हारे पाण्डव भी अए जी ।
संगडे में ल्याये द्रोपदी ॥ 4 ॥
कहत कबीर सुनो भाइ साधो जी ।
ररलद्ध-लसलद्ध ल्याये गणपलत ॥ 5 ॥
ब्रा भी अये म्हारे, लवष्णु भी अये जी ।
साँगडे में ल्याया सरस्वती ॥ 1 ॥
लशवजी भी अये संग नााँदे न ल्याये जी ।
संगडे में ल्याये पारवती ॥ 2 ॥
राम भी अये म्हारे ललछमन भी अए जी ।
संगडे में ल्याये लसया सती ॥ 3 ॥
कौरव भी अए म्हारे पाण्डव भी अए जी ।
संगडे में ल्याये द्रोपदी ॥ 4 ॥
कहत कबीर सुनो भाइ साधो जी ।
ररलद्ध-लसलद्ध ल्याये गणपलत ॥ 5 ॥
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