मैं तेरै रांग राची रे सााँवरा, मैं तेरै रांग राची॥टेर॥
सवा रंग चोला पहन सखी मैं, झुरमुट खेलण जाती।
झुरमुट खेलती नै लमल गयो सांवरो, मैं घाल लमली गत बाथी॥1॥
ओर सखी मद पी पी माती, मैं मद लपया लबन माती।
मैं मद लपयो एक प्रेम भटी को, मस्त रही लदन राती॥2॥
और रा लपव परदेश बसत है, ललख ललख भेजै पाती।
मेरा लपया मेरे घट मे बसत है, बात करुं लदन राती॥3॥
सुरत लनरत को लदवलो संजोयो, मनसा री कर लइबाती।
प्रेम घाणी को तेल संजायो, जग्यो लदन राती॥4॥
जाईंना लपवरीये रह ाँ ना सासररयै, सतगुरु शब्द सुनाती।
मीरा के प्रभु लगरधर नागर, हररचरण माँ लचत लाती॥5॥
Ter - पंख होती तो उड़ जाती रे .....
सवा रंग चोला पहन सखी मैं, झुरमुट खेलण जाती।
झुरमुट खेलती नै लमल गयो सांवरो, मैं घाल लमली गत बाथी॥1॥
ओर सखी मद पी पी माती, मैं मद लपया लबन माती।
मैं मद लपयो एक प्रेम भटी को, मस्त रही लदन राती॥2॥
और रा लपव परदेश बसत है, ललख ललख भेजै पाती।
मेरा लपया मेरे घट मे बसत है, बात करुं लदन राती॥3॥
सुरत लनरत को लदवलो संजोयो, मनसा री कर लइबाती।
प्रेम घाणी को तेल संजायो, जग्यो लदन राती॥4॥
जाईंना लपवरीये रह ाँ ना सासररयै, सतगुरु शब्द सुनाती।
मीरा के प्रभु लगरधर नागर, हररचरण माँ लचत लाती॥5॥
Ter - पंख होती तो उड़ जाती रे .....
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