शनिवार, 14 सितंबर 2019

घणा दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग

घणा दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग

पहला सूत्यो मात गर्भ में पुन्दा पैर पसार
हाथ जोड़ कर बहार निकल्यो हरी ने दियो बिसराए
जन्म तेरा हो लिया रे अब तो जाग मुसाफिर जाग
| घणा दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग

दूजा सूत्यो मात गोद में हस हस दन्त दिखाए
बहन भांजी लोट जिमावे गावें मंगलाचार
लाड तेरा हो लिया रे अब तो जाग मुसाफिर जाग
घणा दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग

तीजा सूत्यो पिया सेज में मन में बहुत उछाल
त्रिया चरित्र इक जाल रचेयो रे हरी ने दियो बिसराए
बिआह तेरा हो लिया रे अब तो जाग मुसाफिर जाग
घना दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग

चौथा सूत्यो श्मशान में लंबा पैर पसार

कहत कबीर सुनो रे भाई साधो दीनी आग लगाए
दाग तेरा हो लिया रे अब तो जाग मुसाफिर जाग
घणा दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग

शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

शिवताण्डवस्तोत्रम्

||सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम् || ||श्रीगणेशाय नमः || जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् | डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं, चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ||१|| जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी, विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि | धगद् धगद् धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ||२|| धरा धरेन्द्र नंदिनी विलास बन्धु बन्धुरस् फुरद् दिगन्त सन्तति प्रमोद मानमानसे | कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि क्वचिद् दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ||३|| जटा भुजङ्ग पिङ्गलस् फुरत्फणा मणिप्रभा कदम्ब कुङ्कुमद्रवप् रलिप्तदिग्व धूमुखे | मदान्ध सिन्धुरस् फुरत् त्वगुत्तरीयमे दुरे मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ||४|| सहस्र लोचनप्रभृत्य शेष लेखशेखर प्रसून धूलिधोरणी विधूस राङ्घ्रि पीठभूः | भुजङ्ग राजमालया निबद्ध जाटजूटक श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः ||५|| ललाट चत्वरज्वलद् धनञ्जयस्फुलिङ्गभा निपीत पञ्चसायकं नमन्निलिम्प नायकम् | सुधा मयूखले खया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदे शिरोज टालमस्तु नः ||६|| कराल भाल पट्टिका धगद् धगद् धगज्ज्वल द्धनञ्जयाहुती कृतप्रचण्ड पञ्चसायके | धरा धरेन्द्र नन्दिनी कुचाग्र चित्रपत्रक प्रकल्प नैक शिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम |||७|| नवीन मेघ मण्डली निरुद् धदुर् धरस्फुरत्- कुहू निशीथि नीतमः प्रबन्ध बद्ध कन्धरः | निलिम्प निर्झरी धरस् तनोतु कृत्ति सिन्धुरः कला निधान बन्धुरः श्रियं जगद् धुरंधरः ||८|| प्रफुल्ल नीलपङ्कज प्रपञ्च कालिम प्रभा- वलम्बि कण्ठकन्दली रुचिप्रबद्ध कन्धरम् | स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छि दांध कच्छिदं तमंत कच्छिदं भजे ||९|| अखर्व सर्व मङ्गला कला कदंब मञ्जरी रस प्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम् | स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं गजान्त कान्ध कान्त कं तमन्त कान्त कं भजे ||१०|| जयत् वदभ्र विभ्रम भ्रमद् भुजङ्ग मश्वस – द्विनिर्ग मत् क्रमस्फुरत् कराल भाल हव्यवाट् | धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ||११|| स्पृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्- – गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः | तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समप्रवृत्तिकः ( समं प्रवर्तयन्मनः) कदा सदाशिवं भजे ||१२|| कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन् विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् | विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ||१३|| इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् | हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ||१४|| पूजा वसान समये दशवक्त्र गीतं यः शंभु पूजन परं पठति प्रदोषे | तस्य स्थिरां रथगजेन्द्र तुरङ्ग युक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः ||१५|| इति श्रीरावण- कृतम् शिव- ताण्डव- स्तोत्रम् सम्पूर्णम्

शनिवार, 3 अगस्त 2019

इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी ब्रज ek din vo bhole bandari ban kr k tripurari

इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी ब्रज में आ गए
पार्वती भी मना के हारी ना माने त्रिपुरारी ब्रज में आ गए

पार्वती से बोले मैं भी चलूँगा तेरे संग मैं
राधा संग श्याम नाचे मैं भी नाचूँगा तेरे संग में
रास रचेगा ब्रज मैं भारी हमे दिखादो प्यारी

ओ मेरे भोले स्वामी,  कैसे ले जाऊं अपने संग में
श्याम के सिवा वहां पुरुष ना जाए उस रास में
हंसी करेगी ब्रज की नारी मानो बात हमारी

ऐसा बना दो मोहे कोई ना जाने एस राज को
मैं हूँ सहेली तेरी ऐसा बताना ब्रज राज को
बना के जुड़ा पहन के साड़ी चाल चले मतवाली

हंस के सत्ती ने कहा  बलिहारी जाऊं इस रूप में
इक दिन तुम्हारे लिए आये मुरारी इस रूप मैं
मोहिनी रूप बनाया मुरारी अब है तुम्हारी बारी

देखा मोहन ने समझ गये वो सारी बात रे
ऐसी बजाई बंसी सुध बुध भूले भोलेनाथ रे
सिर से खिसक गयी जब साड़ी मुस्काये गिरधारी 

दीनदयाल तेरा तब  से गोपेश्वर  हुआ नाम रे
ओ मेरे भोले बाबा  वृन्दावन में बना  धाम रे
ताराचन्द्र कहे ओ त्रिपुरारी राखो लाज हमारी

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम Shyam teri bansi pukare radha name

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम

सॉवरे की बंसी को बजने से काम
राधा का भी नाम वो तो मीरा का भी श्याम

यमुना की लहरें बसीबट की छैया
किसका नहीं है कहो कृष्ण कन्हैया
श्याम का दीवाना तो सारा बूज धाम

लोग करें मीरा को...॥

कौन जाने बॉसुरिया किसको बुलाए
जिसके मन भाए वो उसी के गुण गाए
कौन नहीं बंसी की धुन का गुलाम

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम

काफिला चल के मंजिल पे पहुंचा - ठहरो-2 की हम रह गए है।

काफिला....
काफिला चल के मंजिल पे पहुंचा -2
ठहरो-2 की हम रह गए है
काफिला चल के मंजिल पे पहुंचा
ठहरो-2 की हम रह गए है-3
काफिला चल के मंजिल पे पहुंचा
ठहरो-2 की हम रह गए है।।

गुरु के पीछे लोग चलते गए,
कांरवा बन गया लोग जुड़ते गए - 2
उनको देखा तो हमने आवाज -2
ठहरो-2 की हम रह गए है
काफिला चल के मंजिल पे पहुंचा
ठहरो-2 की हम रह गए है।।

करुणा कर के हमे साथ मे लेलिया-2
हम भी है साथ मे काफिला चल दिया
सारे लोगों को एक पल में दिखला दिया -2
ठहरो-2 की हम रह गए है
काफिला चल के मंजिल पे पहुंच
ठहरो-2 की हम रह गए है।।

मौज में मन मगन जोके उड़ता गया -2
इस जहाँ के भुलावे में फंसता गया
मौज में मन मगन जोके उड़ता गया
इस जहाँ के भुलावे में फंसता गया
जमाने की जब हमको ठोकर लगी
ठहरो-2 की हम रह गए है
काफिला चल के मंजिल पे पहुंचा
ठहरो-2 की हम रह गए ह।।

काफिले के सभी लोग आगे गए -2
रास्ते के नजरों में हम फँस गए
काफिले के सभी लोग आगे गए
रास्ते के नजरों में हम फँस गए
व्याधियों मव जहां की उलझ रह गए -2
ठहरो-2 की हम रह गए है
काफिला चल के मंजिल पे पहुंचा
ठहरो-2 की हम रह गए ह।।

आप तो पहुंचे मंजिल पर अपनी
करी कोशिशें हमने कितनी -2
बाँके की प्रार्थना सुनलो इतनी-2
ठहरो-2 की हम रह गए है
काफिला चल के मंजिल पे पहुंचा
ठहरो-2 की हम रह गए ह ।।

ठहरो-2 की हम रह गए है-3
काफिला चल के मंजिल पे पहुंचा
ठहरो-2 की हम रह गए ह-3/।।

Sundarkand Lyrics

​ वक्र तुंड महाकाय सूर्य कोटि संप्रभ निर्विघ्न कुरू में देव सर्व कार्य सर्वदा गुरूर ब्रह्मा गुरूर विष्णु गुरुर देवों महेश्वर  गुरूर साक्षात ...