ओ दे गयो कागद पोस्टमेन, म्हारा पिव घर आसी जी,
आ शरद पूनम की रत चांदनी, रंग बरसा सी जी,
ओ दे गयो कागद......
१. पतला पतला फलका पोस्यू, उजली रानू खीर-२,
आँगन बीएड जिमास्यू, म्हारी नणदल बाई रा बीर-२
म्हार मनडरा हाल सुणास्यू-२
जद म्हान गल लगासी जी आ सरद.......
२. काजल टिकी लगा के करस्यू, में सोल्हसिंगर -२
घणी उडिकी जद यो आयो, मिलण रो त्यौहार-२
म्हारा मेन्दी राच्या हाथ-२
सजन घणा सुहासी जी, आ सरद........
३. सावण बिल्यो फागण जाव, बित्या तीज त्यौहार-२
बाट जोवला आंख्या थकगी, कद आसी भरतार - २
ओ रंगा को त्यौहार-२
बलम म्हार रंग रंग ज्यासी जी आ शरद ......
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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