चाकर राख ले सांवरिया थारो, भोत बड़ो दरबार...
भोत बड़ो दरबार थारो, भोत बड़ो दरबार चाकर राख ले.........
१. पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण दशो दिशा में राज थारो,
राजा और महाराजा भी, थार आगे लाचार चाकर ....
२. तीन लोक चोहदह भुवनो में, फेल्यो कारोबार तेरो,
युगा युगा स्यु सरपट दोड़, श्याम तेरी सरकार चाकर ....
३ सीधो साधो बन्दों में ले, नेम धर्म को पम्को रे,
ऐसे चाकर की तो होसी , श्याम तने दरबार चाकर ....
४ जो सोपंगो काम सांवरा, चाव लगाकर करस्यूर ,
अर्जी है सांवरिया म्हान, मोको दे एक बार चाकर .....
५. जो देवेगो पुणो पावलो रक्सी से लेस्यू रे,
भक्त थारे राज में राजी, सेवकीयो तैयार चाकर ......
नंदू जी द्वारा रचित
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