श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ॥
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ॥
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में॥
मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझको रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥
राम रसिया हूँ मैं, सुमिरन करे,
सियाराम का सदा ही मैं चिंतन करू,
सच्चा आनंद है ऐसे ही जीने में,
श्री राम
....
फाड़ सीना हैं, सब को ये दिखा दिया,
भक्ति में मस्ती है, सबको बतला दिया,
कोई मस्ती ना,सागर को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥
देख लो मेरे दिल के नगीने में ॥
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ॥
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में॥
मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझको रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥
राम रसिया हूँ मैं, सुमिरन करे,
सियाराम का सदा ही मैं चिंतन करू,
सच्चा आनंद है ऐसे ही जीने में,
श्री राम
....
फाड़ सीना हैं, सब को ये दिखा दिया,
भक्ति में मस्ती है, सबको बतला दिया,
कोई मस्ती ना,सागर को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥
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