जेसे मांहदर दीपक हबन सुना ना वस्तु का बेरा
गुरु बिन घोर अंधेरा
जब तक कन्या रहे काँवारी ना लप्रयतम का बेरा
अठुं पहर रहे अलस म खेल्ह खेल घणेरा
चकमक म ऄग्नी बसत है ना चकमक न बेरा
गुरु घम चोट लगे चकमक के अग लफरे चोफेरा
लमरगे के नाभ बसे लकस्तुरी ना लमरगे न बेरा
व्याकुल होकर लफरे भटकतो सूंघे घास घनेरा
नाथ गुलाब लमल्या गुरु पुरा जाग्या भाग भलेरा
भानीनाथ शरण सतगुरु की गुरु चरणा लचत्त मेरा
बोल भालननाथ जी महाराज की जय
गुरु बिन घोर अंधेरा
जब तक कन्या रहे काँवारी ना लप्रयतम का बेरा
अठुं पहर रहे अलस म खेल्ह खेल घणेरा
चकमक म ऄग्नी बसत है ना चकमक न बेरा
गुरु घम चोट लगे चकमक के अग लफरे चोफेरा
लमरगे के नाभ बसे लकस्तुरी ना लमरगे न बेरा
व्याकुल होकर लफरे भटकतो सूंघे घास घनेरा
नाथ गुलाब लमल्या गुरु पुरा जाग्या भाग भलेरा
भानीनाथ शरण सतगुरु की गुरु चरणा लचत्त मेरा
बोल भालननाथ जी महाराज की जय
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