शुक्रवार, 13 मार्च 2020

Ae Gori Mhari Ae Mhe To Chalya Re Perdesh

Ae Gori Mhari Ae Mhe To Chalya Re Perdesh

ऐ गोरी म्हारी म्हे तो चाल्या रे परदेश.........2


थान तो तरसावा ला रे मेरी नार.  3


ऐ गोरी म्हारी म्हे तो चाल्या रे परदेश.........
लाजो  म्हार म्हे तो चाल्या रे परदेश.........

ऐ गोरी म्हारी म्हे तो चाल्या रे परदेश......... 2


ओ.....
जानी म्हारा ओ.....
ओजी म्हारी तो  तरसेगी बलार
ऐजी पिया म्हारा ओ..
ऐजी म्हारी तो तरसेगी बलार

पिवरिय उठ  ज्यावागी रे मेरा श्याम .... 3

ज्यानी म्हारा ओ
म्हारी तो तरस बलार..
ज्यानी म्हारा ओ
म्हारी तो तरस बलार.

पिवरिय उठ  ज्यावा गी रे मेरा श्याम ...3


ऐजी गोरी म्हारी ऐ
ओ देवरीओ बड़ो बदमास ......
ऐजी गोरी म्हारी ऐ
ओ देवरीओ बड़ो बदमास ......

मस्करी कर लो रे मेरी नार .... 2
ऐजी गोरी म्हारी ऐ
ओ देवरीओ बड़ो बदमास ......
ऐजी लाजो  म्हारी ऐ
ओ देवरीओ बड़ो बदमास ......

मस्करी कर लो रे मेरी नार .... 2



ऐजी छेला म्हारा ओ
ऐजी जड़ ल्युगी सजेलो किवाड़

ऐजी पिया  म्हारा ओ
ऐजी जड़ ल्युगी सजेड़ो किवाड़

भिन्ता स सीर फोड़ गो रे मेरा श्याम ...3

ऐजी छेला म्हारा ओ
ऐजी जड़ ल्युगी सजेलो किवाड़

ऐजी पिया  म्हारा ओ
ऐजी जड़ ल्युगी सजेड़ो किवाड़

भिन्ता स सीर फोड़ गो रे मेरा श्याम ...3


ऐजी गोरी म्हारी ऐ
ओ पिलंग बड़ो ऐ दरिआन
ऐजी लाजो  म्हारी ऐ
ओ पिलंग बड़ो ऐ दरिआन

नींद किया आव गी ऐ मेरी नार ....3

ओजी गोरी म्हारी ऐ
ओ पिलंग बड़ो ऐ दरिआन
ओजी लाडो  म्हारी ऐ
ओ पिलंग बड़ो ऐ दरिआन

नींद किया आव गी ऐ मेरी नार ....3


ऐजी ज्यानी म्हारा ओ
आ छोटी ननद मेरे साथ

ऐजी छेला म्हारा ओ
आ छोटी ननद मेरे साथ

बांथ भर सोवंगा रे मेरा श्याम  ....3

ऐजी छेला म्हारा ओ
आ छोटी ननद मेरे साथ

बांथ भर सोवंगा रे मेरा श्याम  ....3

ऐजी गोरी म्हारी ऐ ..
पलंग तळ कालो नाग 

ऐजी गोरी म्हारी ऐ ..
पलंग तळ कालो नाग 

दो न्यान डस ज्याव्गो रे म्हारी नार ... 3


ओ गोरी म्हार
पलंग तळ कालो नाग
ओ गोरी म्हार
पलंग तळ कालो नाग   

दो न्यान डस ज्याव्गो रे म्हारी नार ... 3

ऐजी छेला म्हारा ओ
म्हे परदेश की नार
ओ ज्यानी म्हारा ओ
महे परदेश की नार

पापो तो काट ज्याव्गो रे मेरा श्याम ..... 3

ऐजी छेला म्हारा ओ
म्हे परदेश की नार
ओ ज्यानी म्हारा ओ
महे परदेश की नार



पापो तो काट ज्याव्गो रे मेरा श्याम ..... 3




सोमवार, 9 मार्च 2020

घड़वादे सोना री बागड़ी मेरे श्याम सोना री

घड़वादे मेरा श्याम सोना की बंगडी घड़वादे रे x2

सोना की बाड़ी रे सोना का बंगडी

घड़वादे मेरा श्याम सोना की बंगडी घड़वादे रे x2

हीरा पन्ना मानक मोटी बंगड़ी में जड़वादे रे x2

तेरे नाम की गुण गाती गरणवे बंगडी घड़वादे रे x2

रसोइया में जौ तो बांगड़ी रुनझुन बाजे रे x2

पिवज़ी ने जीमाउ जड़ गरना वे बंगडी घड़वा दे रे x2
पानी ने जाउ रे बांगड़ी रुनझुन बजे रे x2

घड़लो उठाउ जद गरना वे बंगडी घड़वा दे रे x2

मेहला में जाउ तो बंगड़ी रुनझुन बाजे रे x2
पीव ने रिझाउ जद गौरव बंगडी घडवादे रे x2

शनिवार, 7 मार्च 2020

समय का एक पहिया चलता है

समय का एक पहिया चलता है,

दोहा - सदा रंक नही राव,
सदा मरदंग ना बाजे,
सदा धूप नही छाव,
सदा इंदर ना गाजे।
सदा न जोवन थर रहे,
सदा न काला केस,
विक्रम कहे बेताल सुनो,

सदा न राजा देश।
शीत हरि नित एक निशाचर,
लंक लहि वही दिन आयो।
एक दिन पाण्डव गए बन में,
एक दी से फिर राज कमायो।
एक दिन नल तजि दमयन्ती,
एक दिन से फिर छत्र धरायो,

सोच परवीन कब करिये,
किरतार विसंभर खेल रचायो।

समय समय में होत है,
समय समय की बात,
एक समय मे दिन बड़ा,
एक समय की रात।

समय का एक पहिया चलता है,
उस पहिये के साथ किसी का,
भाग्य बदलता है,
समय का इक पहिया चलता है।।

लख घोड़ा लख पालकी,
सिर पर छतर धरे,
सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र देखो,
नीच घर नीर भरे,
उस राजा के लाल को देखो,
बिन कफन के जलता है,
समय का इक पहिया चलता है।

भरी सभा मे द्रुपद सुता को,
लाया अभिमानी,
भीष्म कर्ण द्रोण जा देखो,
एक नही मानी,
पांचो पांडव द्रुपद को देखो,
बैठे बैठे जलता है,
समय का इक पहिया चलता है।।

समय का पहिया एक दिन देखो,
दशरथ के आया,
सरयू नदी के तीर खड़ा,
वो बाण चलवाया,
बाण जा सरवन के लगो,
प्राण निकलता है,
समय का इक पहिया चलता है।।

हाथ जोड़ कर विनती,
मन्दोदरी रानी,
बार बार संजय पर वो,
एक नही मानी,
कर साधु का भेष रावण,
सिया को छलता है,
समय का इक पहिया चलता है।।

बलख बखरा बादशाह,
सुल्तान बड़ा नामी,
सुन बांधी की बात मन मे,
हो गई हैरानी,
रथ पालकी त्याग सभी को,
वन को जाता है,
समय का इक पहिया चलता है।।

तुलसी नर का क्या बड़ा,
समय बड़ा बलवान,
काबे लूटी गोपिया,
वे अर्जुन वे ही बान,
समय से चलता शशि को देखो,
भान निकलता है,
समय का इक पहिया चलता है।।

समय का एक पहिया चलता है,
उस पहिये के साथ किसी का,
भाग्य बदलता है,
समय का इक पहिया चलता है।।

शनिवार, 30 नवंबर 2019

दुनिया मे देव हजारो हैं, बजरंग बली का क्या कहना

दुनिया मे देव हजारो हैं, बजरंग बली का क्या कहना
इनकी शक्ति का क्या कहना, इनकी भक्ति का क्या कहना
दुनिया मे देव हजारो हैं, बजरंग बली का क्या कहना

ये सात समुन्दर लांग गए और गढ़ लंका मे कूद गए
रावन को डराना क्या कहना, लंका को जलाना क्या कहना
दुनिया मे देव हजारो हैं बजरंग बली का क्या कहना

जब लक्ष्मन जी बेहोश हुए, संजीवनी बूटी लाने गए
परबत को उठाना क्या कहना, लक्ष्मन को जिवाना क्या कहना
दुनिया मे देव हजारो हैं बजरंग बली का क्या कहना

' देवसेना ’ इनके सीने मे सिया राम की जोड़ी रहती है
ये राम दिवाना क्या कहना, गुण गाये जमाना क्या कहना
दुनिया मे देव हजारो हैं बजरंग बली का क्या कहना

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

मैं हरि, पतित पावन सुने

मैं हरि, पतित पावन सुने।
मैं पतित, तुम पतित-पावन, दोउ बानक बने॥
ब्याध गनिक अगज अजामिल, साखि निगमनि भने।
और अधम अनेक तारे, जात कापै गने॥
जानि नाम अजानि लीन्हें नरक जमपुर मने।
दास तुलसी सरन आयो राखिये अपने॥

बुधवार, 23 अक्टूबर 2019

वो महाराणा प्रताप कठे |

हल्दी घाटी में समर लड़यो,
वो चेतक रो असवार कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?


मैं बाचों है इतिहासां में,
मायड़ थे एड़ा पुत जण्या,
अन-बान लजायो नी थारो,
रणधीरा वी सरदार बण्या,
बेरीया रा वरसु बादिळा,
सारा पड ग्या ऊण रे आगे,
वो झुक्यो नही नर नाहरियो,
हिन्दवा सुरज मेवाड़ रतन
वो महाराणा प्रताप कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?

ये माटी हळदीघाटी री,
लागे केसर और चंदन है,
माथा पर तिलक करो इण रो,
इण माटी ने निज वंदन है.
या रणभूमि तीरथ भूमि, द
र्शन करवा मन ललचावे,
उण वीर-सुरमा री यादा,
हिवड़ा में जोश जगा जावे,
उण स्वामी भक्त चेतक री टापा,
टप-टप री आवाज कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे? वो मेवाड़ी सिरमौर
कठे? वो महाराणा प्रताप कठे?

संकट रा दन देख्या जतरा,
वे आज कुण देख पावेला,
राणा रा बेटा-बेटी न,
रोटी घास री खावेला
ले संकट ने वरदान समझ,
वो आजादी को रखवारो,
मेवाड़ भौम री पति राखण ने,
कदै भले झुकवारो,
चरणा में धन रो ढेर कियो,
दानी भामाशाह आज कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे? वो मेवाड़ी सिरमौर
कठे? वो महाराणा प्रताप कठे?

भाई शक्ति बेरिया सूं मिल,
भाई सूं लड़वा ने आयो,
राणा रो भायड़ प्रेम देख,
शक्ति सिंग भी हे शरमायों,
औ नीला घोड़ा रा असवार,
थे रुक जावो-थे रुक जावो
चरणा में आई प़डियो शक्ति,
बोल्यो मैं होकर पछतायो,
वो गळे मिल्या भाई-भाई,
जूं राम-भरत रो मिलन अठे,
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे? वो महाराणा
प्रताप कठे?, वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?

वट-वृक्ष पुराणॊं बोल्यो यो,
सुण लो जावा वारा भाई
राणा रा किमज धरया तन पे,
झाला मन्ना री नरवारी,
भाळो राणा रो काहे चमक्यो,
आँखां में बिजली कड़काई,
ई रगत-खळगता नाळा सूं,
या धरती रगत री कहळाई,
यो दरश देख अभिमानी रो,
जगती में अस्यों मनख कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे? वो मेवाड़ी सिरमौर
कठे? वो महाराणा प्रताप कठे?

हळदीघाटी रे किला सूं,
शिव-पार्वती रण देख रिया,
मेवाड़ी वीरा री ताकत,
अपनी निजरिया में तौल रिया,
बोल्या शिवजी-सुण पार्वती,
मेवाड़ भौम री बलिहारी,
जो आछा करम करे जग में,
वो अठे जनम ले नर नारी,
मूं श्याम एकलिंग रूप धरी,
सदियां सूं बैठो भला अठे
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे? वो मेवाड़ी सिरमौर
कठे? वो महाराणा प्रताप कठे?

मानवता रो धरम निभायो है,
भैदभाव नी जाण्यो है,
सेनानायक सूरी हकीम यू,
राणा रो चुकायो हे
अरे जात-पात और ऊंच-नीच री,
बात अया ने नी भायी ही,
अणी वास्ते राणा री प्रभुता,
जग ने दरशाई ही,
वो सम्प्रदाय सदभाव री,
मिले है मिसाल आज अठे,
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे? वो मेवाड़ी सिरमौर
कठे? वो महाराणा प्रताप कठे?

कुम्भलगढ़, गोगुन्दा, चावण्ड,
हळदीघाटी ओर कोल्यारी
मेवाड़ भौम रा तीरथ है,
राणा प्रताप री बलिहारी,
हे हरिद्वार, काशी, मथुरा, पुष्कर,
गलता में स्नान करा,
सब तीरथा रा फल मिल जावे,
मेवाड़ भौम में जद विचरां,
कवि “माधव” नमन करे शत-शत,
मोती मगरी पर आज अठे,
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे? वो मेवाड़ी सिरमौर
कठे? वो महाराणा प्रताप कठे?

अरे आज देश री सीमा पर,
संकट रा बादळ मंडराया,
ये पाकिस्तानी घुसपेठीया,
भारत सीमा में घुस आया,
भारत रा वीर जवाना थे,
याने यो सबक सिखा दिजो,
थे हो प्रताप रा ही वंशज,
याने यो आज बता दिजो,
यो कशमीर भारत रो है,
कुण आंख दिखावे आज अठे
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे? वो मेवाड़ी सिरमौर
कठे? वो महाराणा प्रताप कठे?

हल्दी घाटी में समर लड़यो,
वो चेतक रो असवार कठे?
मायड़ थारो वो पुत कठे?
वो एकलिंग दीवान कठे?
वो मेवाड़ी सिरमौर कठे?
वो महाराणा प्रताप कठे?

Sundarkand Lyrics

​ वक्र तुंड महाकाय सूर्य कोटि संप्रभ निर्विघ्न कुरू में देव सर्व कार्य सर्वदा गुरूर ब्रह्मा गुरूर विष्णु गुरुर देवों महेश्वर  गुरूर साक्षात ...