बुधवार, 27 जुलाई 2022

भाँगडली शरणाई रे शिव थारा नैणा में || Bhangdli sarnai re shiv thare naina me || अर्जी सुन्ज्यो दीनानाथ ||


 भाँगडली शरणाई रे शिव थारा नैणा में, अर्जी सुन्ज्यो दीनानाथ, थे तो भूता रा सरदार

तेरी महिमा अपरम्पार धतूरो बोयो वन मे भांगडली गरनाई रे शिव थारा नैना मे शिव थारी बैला की है सवारी, तुझको लागे है घणी प्यारी नाग बिराजे गले में शिव थारी गौरा है अर्धांगिनी, तुझको घोट पिलावे भंग री, गिरीजा रहवे संग मे शिव थारा पगा घूघरा बाजे, थारा हाथ मे डमरू बाजे, भवूती रमाई तन मे

मंगलवार, 1 मार्च 2022

आरती भगवान कैलास वासी || शिव आरती || Shiv Aarti || Shish Gang || शीश गंग अर्धंग पार्वती

आरती भगवान कैलास वासी

शीश गंग अर्धंग पार्वती, सदा विराजत कैलासी ।
नंदी भृंगी नृत्य करत हैं, धरत ध्यान सुर सुखरासी ॥

शीतल मन्द सुगन्ध पवन बह, बैठे हैं शिव अविनाशी ।
करत गान गन्धर्व सप्त स्वर, राग रागिनी मधुरा-सी ॥

यक्ष-रक्ष भैरव जहे डोलत, बोलत हैं वनके वासी ।
कोयल शब्द सुनावत सुन्दर, भ्रमर करत हैं गुंजा-सी ॥

कल्पद्रुम अरु पारिजात तरु, लाग रहे हैं लक्षासी ।
कामधेनु कोटिन जहँ डोलत, करत दुग्धकी वर्षा-सी ॥

सूर्यकान्त सम पर्वत शोभित, चन्द्रकान्त सम हिमराशी ।
नित्य छहों ऋतु रहत सुशोभित, सेवत सदा प्रकृति-दासी ॥

ऋषि-मुनि देव दनुज नित सेवत, गान करत श्रुति गुणराशी ।
ब्रह्मा-विष्णु निहारत निसिदिन, कछु शिव हमकूँ फरमासी ॥

ऋद्धि सिद्धिके दाता शंकर, नित सत् चित् आनँदराशी ।
जिनके सुमिरत ही कट जाती, कठिन काल-यमकी फाँसी ॥

त्रिशूलधरजीका नाम निरंतर, प्रेम सहित जो नर गासी ।
दूर होय विपदा उस नरकी, जन्म-जन्म शिवपद पासी ॥

कैलासी काशीके वासी, अविनाशी मेरी सुध लीजो ।
सेवक जान सदा चरननको, अपनो जान कृपा कीजो ॥

तुम तो प्रभुजी सदा दयामय, अवगुण मेरे सब ढकियो ।
सब अपराध क्षमाकर शंकर, किंकरको विनती सुनियो ॥

बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

महाराज गजानंद आवो जी || Maharaj Gajanand Aao Ji Mhari Sbha M Rang Barsao Ji Lyrics

                                                              महाराज गजानंद आवजो जी

                                                     म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
                                                     महाराज विनायक आओ,

                                                   म्हारी सभा में रंग बरसाओ ।।

                                     


          


रणत भवन से आवो नी गजानन,
संग में रिद्धि सिद्धि ल्यावो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आवो,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।

ब्रम्हा जी आवो देवा विष्णु पधारो,
संग में सरस्वती ले आवो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आवो,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।

नांदिये सवारी शिव भोला पधारो,
संग में पार्वती ने ल्यावो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।

सिंघ सवारी नवदुर्गे पधारो,
संग में काळा गौरा ल्यावो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।

लीले सवारी बाबा रामदेव आवो,
संग में मेतल राणी ल्यावो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आवो,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।।

तानसेन देवा थारो यश गावे,
भूल्या ने राह बतावो,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।
गणराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ,
महाराज विनायक आओ,
म्हारी सभा में रंग बरसाओ।

जीनो जीनो कजरो Jhino Jhino Kajro Saar Lyo Suhagan Lyrics

 

झिनो झिनो कजरों सार लयों सुहागन,

तेल रामा लयों केशा में,

पाँच रे पच्चीस थाने खड़्या रे उडिके,
चालो ऐ दिवानी चाला देशा में.

गगन मंडल में घल्या रे हिंडोला,
रेशम डोर छिटके न्यारी,
सूरत निरत दोन्यू हिंडन बैठी,
झोंटा देवे बाने साँवरो गिरधारी.

झिनो झिनो कजरों सार लयों सुहागन,
तेल रामा लयों केशा में,
पाँच रे पच्चीस थाने खड़्या रे उडिके,
चालो ऐ दिवानी चाला देशा में.


सोहणा वसत्र छोड़ दयो सुहागन,
भगवा वसत्र लयों प्यारी,
भगवा में भगवान बसत है,
बठे तो कटेगी थारि चोरयासी.
झिनो झिनो कजरों सार लयों सुहागन,
तेल रामा लयों केशा में,
पाँच रे पच्चीस थाने खड़्या रे उडिके,
चालो ऐ दिवानी चाला देशा में.

पिवर बसबो छोड़ दयो सुहागन,
सासरिए बस जयवो प्यारी,
सासरिया का लोग भलेरा,
जिन संग मोज़ा है भारी.
झिनो झिनो कजरों सार लयों सुहागन,
तेल रामा लयों केशा में,
पाँच रे पच्चीस थाने खड़्या रे उडिके,
चालो ऐ दिवानी चाला देशा में.

आठ रे नवमी आवे रे दड़ूकती ,
ग्यारस बारस सै आसी,

रामानन्द जी रा भनत कबीरा ,
मँज लया मँज लया चढ़ ज्यासी.

||जय श्री नाथजी की ||

भाँगडली शरणाई रे शिव थारा नैणा में || Bhangdli sarnai re shiv thare naina me || अर्जी सुन्ज्यो दीनानाथ ||

  भाँगडली शरणाई रे शिव थारा नैणा में, अर्जी सुन्ज्यो दीनानाथ, थे तो भूता रा सरदार तेरी महिमा अपरम्पार धतूरो बोयो वन मे भांगडली गरनाई रे शिव ...