सोमवार, 11 फ़रवरी 2019

हे मंगल की मूल भवनी शरणा तेरा है |



हे मंगल की मूल भवनी शरणा तेरा है,
शरणा तेरा है, आसरा तेरा है, शरणा तेरा है ॥टेर॥
मैया है ब्रह्मा  की पुतरी, लेकर ज्ञान स्वर्ग से उतरी,
अज तेरी कथा बनाय देइ सुथरी, प्रथम मनाया है ॥1॥
मैया भवन बणा जाली का, हार गूंथ ल्याया है माली का,
हो ध्यान घर कलकत्ते वाली का, पुष्प चढाया है ॥2॥
मैया मलहषासुर को मारे, अपने बल से धरण पछाड्या,
हो हाथ ललये खाण्डा दुघारा, असुर संघायाप है ॥3॥
कहता शंकर जटोली वाला, हरदम रटे गुरां की माला,
हो खोल मेरे हृदय का ताला, सब  बर पाया है ॥4॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भाँगडली शरणाई रे शिव थारा नैणा में || Bhangdli sarnai re shiv thare naina me || अर्जी सुन्ज्यो दीनानाथ ||

  भाँगडली शरणाई रे शिव थारा नैणा में, अर्जी सुन्ज्यो दीनानाथ, थे तो भूता रा सरदार तेरी महिमा अपरम्पार धतूरो बोयो वन मे भांगडली गरनाई रे शिव ...