देवसेना युवाओं का संगठन है,जो श्री बालाजी मंदिर,गुर्जरो की ढाणी, रतनगढ़(राजस्थान) के विकास और पुनरुद्धार के लिए समर्पित है। सदस्यो द्वारा हर शनिवार को बालाजी मंदिर में भजन संध्या का आयोजन किया जाता है। देवसेना संगठन के इस यू ट्यूब चैनल पर शनिवार की हर भजन संध्या के वीडियो,देवसेना द्वारा आयोजित संगीतमय सुन्दरकाण्ड और नाथ समुदाय सभी साधू संतो के भजन पोस्ट किए जाएंगे | For Subscribe https://www.youtube.com/c/devsena
बुधवार, 28 नवंबर 2018
सोमवार, 26 नवंबर 2018
तू आयो देर से गिरधारी.संत श्री गुलाबनाथ जी महाराज gulab nath ji Tu aayo der se giridhari Lyrics
आयो देर
से गिरधारी,
तू आयो
देर से
गिरधारी |
तेरी पाछी ले ज्या गाठड़ी तू मोड़े आयो गिरधारी ||
और सगा ने महल मालिया, सुंदर महल अटारी |
नरसी भगत ने टूटेडी टपरी, बा भी गाँव से न्यारी ||
और सगा ने लाडू जलेबी, सत पकवान मिठाई |
नरसी भगत ने बासी खिचड़ी, बा भी लूण से खारी ||
और सगा ने हिंगलू ढोलिया, गादी गिन्डवा न्यारा,
नरसी भगत ने फतेदी गुदड़ी, बभी चूहा से फाड़ी ||
कह नरसिलो सुन रे सांवरा आनो है तो आ ज्या |
नानी बाई को भरके मायरो , पाछा सुरग सिधारो ||
छप्पन करोड़ को ल्यायो मायरो, न्याय करो प्रभु त्यारो |
छिन्तरमल नरसी कि लज्जा, रखे बंसी वालो |
तेरी पाछी ले ज्या गाठड़ी तू मोड़े आयो गिरधारी ||
और सगा ने महल मालिया, सुंदर महल अटारी |
नरसी भगत ने टूटेडी टपरी, बा भी गाँव से न्यारी ||
और सगा ने लाडू जलेबी, सत पकवान मिठाई |
नरसी भगत ने बासी खिचड़ी, बा भी लूण से खारी ||
और सगा ने हिंगलू ढोलिया, गादी गिन्डवा न्यारा,
नरसी भगत ने फतेदी गुदड़ी, बभी चूहा से फाड़ी ||
कह नरसिलो सुन रे सांवरा आनो है तो आ ज्या |
नानी बाई को भरके मायरो , पाछा सुरग सिधारो ||
छप्पन करोड़ को ल्यायो मायरो, न्याय करो प्रभु त्यारो |
छिन्तरमल नरसी कि लज्जा, रखे बंसी वालो |
गुरुवार, 22 नवंबर 2018
शिव डमरू वाले को दिल से ना भुलाना तू ,विकास नाथ जी भजन Shiv damru wale ko dil se n bhulana tu Lyrics
शिव डमरू वाले को, दिल से ना भूलाना तू |
शंभू त्रिपुरारी की, निज आरती गाना तू ||
शिव शिव कहके प्राणी, जीने का मजा लेले |
मालूम नहीं कब तू, दुनिया से रजा लेले ||
भोले भण्डारी को, निज हाल सुनाना तू || शम्भू ||
किस्मत के भरोसे पे, कर्मो को किये जा तू |
दो दिन की रवानी है, हँस हँस के जिए जा तू |
माया के दीवानों का, कुछ खोफ़ ना खाना तू || शम्भू ||
पीकर के जहर शिव ने, अमृत को बिसारा था |
कर जोड़ के देवो ने, भोले को पुकारा था |
शिव चरण के पाणी को, आँखों से लागाना तू || शम्भू ||
सोमवार, 19 नवंबर 2018
शुक्रवार, 16 नवंबर 2018
सोमवार, 12 नवंबर 2018
जसनाथी सम्प्रदाय
जय जसनाथ जी महाराज |जय श्री बालाजी |
जसनाथी सम्प्रदाय मुख्यतः अंगारा नृत्य करने के लिए प्रसिद्ध है |
सम्प्रदाय की स्थापना सिद्ध संत श्री जसनाथ जी द्वारा राजस्थान के चूरू से की गई थी, मान्यता अनुसार जसनाथ जी के 5 शिष्यों ने इसे आगे बीकानेर नागौर और जोधपुर तक फैलाया |
इस सम्प्रदाय के पाँच ठिकाने, बारह धाम, चौरासी बाड़ी और एक सौ आठ स्थापना हैं |जसनाथी सम्प्रदाय के लोग से बात-चीत करने से मिली जानकारी के अनुसार वो पहले गुरु जसनाथ जी व अग्नि देव की पूजा करके उनसे अनुरोध करते है की अग्नि का प्रभाव निष्क्रिय हो जाये |
जसनाथी सम्प्रदाय के लोग से बात-चीत करने से मिली जानकारी के अनुसार वो पहले गुरु जसनाथ जी व अग्नि देव की पूजा करके उनसे अनुरोध करते है की अग्नि का प्रभाव निष्क्रिय हो जाये |
इन अंगारो से वो ऐसे खेलते है, मनो जैसे कोई बर्फ का टुकड़ा हो | जसनाथ जी के आशीर्वाद से अपने मुँह में अंगारे लेकर अद्भुत कलाएँ करते है | बीकानेर से सटे हुए कतरियासर गांव में आज भी इनकी समाधि विद्यमान है। बीकानेर से करीब 45 किलोमीटर दूर कतरियासर गाँव सिद्ध नाथ सम्प्रदाय के लोगों का मेला में लगता है।
बीकानेर से सटे हुए कतरियासर गांव में आज भी इनकी समाधि विद्यमान है। बीकानेर से करीब 45 किलोमीटर दूर कतरियासर गाँव सिद्ध नाथ सम्प्रदाय के लोगों का मेला में लगता है।
जय जसनाथ जी महाराज |जय श्री बालाजी |जसनाथी सम्प्रदाय मुख्यतः अंगारा नृत्य करने के लिए प्रसिद्ध है |
सम्प्रदाय की स्थापना सिद्ध संत श्री जसनाथ जी द्वारा राजस्थान के चूरू से की गई थी, मान्यता अनुसार जसनाथ जी के 5 शिष्यों ने इसे आगे बीकानेर नागौर और जोधपुर तक फैलाया |
इस सम्प्रदाय के पाँच ठिकाने, बारह धाम, चौरासी बाड़ी और एक सौ आठ स्थापना हैं |जसनाथी सम्प्रदाय के लोग से बात-चीत करने से मिली जानकारी के अनुसार वो पहले गुरु जसनाथ जी व अग्नि देव की पूजा करके उनसे अनुरोध करते है की अग्नि का प्रभाव निष्क्रिय हो जाये |जसनाथी सम्प्रदाय के लोग से बात-चीत करने से मिली जानकारी के अनुसार वो पहले गुरु जसनाथ जी व अग्नि देव की पूजा करके उनसे अनुरोध करते है की अग्नि का प्रभाव निष्क्रिय हो जाये |इन अंगारो से वो ऐसे खेलते है, मनो जैसे कोई बर्फ का टुकड़ा हो | जसनाथ जी के आशीर्वाद से अपने मुँह में अंगारे लेकर अद्भुत कलाएँ करते है | बीकानेर से सटे हुए कतरियासर गांव में आज भी इनकी समाधि विद्यमान है। बीकानेर से करीब 45 किलोमीटर दूर कतरियासर गाँव सिद्ध नाथ सम्प्रदाय के लोगों का मेला में लगता है।बीकानेर से सटे हुए कतरियासर गांव में आज भी इनकी समाधि विद्यमान है। बीकानेर से करीब 45 किलोमीटर दूर कतरियासर गाँव सिद्ध नाथ सम्प्रदाय के लोगों का मेला में लगता है।
जसनाथ जी का जन्म 1480-82 के लगभग माना जाता है, गुरु गोरख नाथ जी के अनुयायी जसनाथ जी ने 12 तपस्या कर प्रचंड अध्यात्म ज्ञान प्राप्त कर लगभग 1506 में कतरियासर (वर्तमान बीकानेर, राजस्थान से 45 KM दूर ) पर जीवित समाधि ली |
जसनाथी सम्प्रदाय मुख्यतः अंगारा नृत्य करने के लिए प्रसिद्ध है |
सम्प्रदाय की स्थापना सिद्ध संत श्री जसनाथ जी द्वारा राजस्थान के चूरू से की गई थी, मान्यता अनुसार जसनाथ जी के 5 शिष्यों ने इसे आगे बीकानेर नागौर और जोधपुर तक फैलाया |
इस सम्प्रदाय के पाँच ठिकाने, बारह धाम, चौरासी बाड़ी और एक सौ आठ स्थापना हैं |जसनाथी सम्प्रदाय के लोग से बात-चीत करने से मिली जानकारी के अनुसार वो पहले गुरु जसनाथ जी व अग्नि देव की पूजा करके उनसे अनुरोध करते है की अग्नि का प्रभाव निष्क्रिय हो जाये |
जसनाथी सम्प्रदाय के लोग से बात-चीत करने से मिली जानकारी के अनुसार वो पहले गुरु जसनाथ जी व अग्नि देव की पूजा करके उनसे अनुरोध करते है की अग्नि का प्रभाव निष्क्रिय हो जाये |
इन अंगारो से वो ऐसे खेलते है, मनो जैसे कोई बर्फ का टुकड़ा हो | जसनाथ जी के आशीर्वाद से अपने मुँह में अंगारे लेकर अद्भुत कलाएँ करते है | बीकानेर से सटे हुए कतरियासर गांव में आज भी इनकी समाधि विद्यमान है। बीकानेर से करीब 45 किलोमीटर दूर कतरियासर गाँव सिद्ध नाथ सम्प्रदाय के लोगों का मेला में लगता है।
बीकानेर से सटे हुए कतरियासर गांव में आज भी इनकी समाधि विद्यमान है। बीकानेर से करीब 45 किलोमीटर दूर कतरियासर गाँव सिद्ध नाथ सम्प्रदाय के लोगों का मेला में लगता है।
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